Female ko uterus mein fibroid kyon hota hai in Hindi

महिला के बच्चेदानी में

 फाइब्रॉईड क्यों होता है 



1या फिर ये हार्मोन के स्त्राव में आए उतार-चढ़ाव की वजह से भी हो सकता है। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा भी इसका एक कारण हो सकते हैं। फाइब्रॉइड बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि 99 फीसदी ये बीमारी बिना कैंसर वाली होती है।गर्भाशय फाइब्राॅइड (गर्भाशय में गांठ) के कारण-


1गर्भाशय में रसौली अर्थात् गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या, आनुवांशिक भी हो सकती है। अगर परिवार में किसी महिला को ये बीमारी है तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है। या फिर ये हार्मोन के स्त्राव में आए उतार-चढ़ाव की वजह से भी हो सकता है। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा भी इसका एक कारण हो सकते हैं। फाइब्रॉइड बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि 99 फीसदी ये बीमारी बिना कैंसर वाली होती है।


गर्भाशय फाइब्रॉइड (गर्भाषय में गांठ) के लक्षण-

गर्भाशय फाइब्राॅइड के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-

1 माहवारी के समय या बीच में ज्यादा रक्तस्राव, जिसमे थक्के शामिल हैं।

2नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द।

3 बार-बार पेशाब आना।

4 मासिक धर्म के समय दर्द की लहर चलना।

5यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द होना।

6मासिक धर्म का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना।

7 नाभि के नीचे पेट में दबाव या भारीपन महसूस होना।

8प्राइवेट पार्ट से खून आना।

9कमजोरी महसूस होना।

10 पेट में सूजन।

11एनीमिया।

12 कब्ज

13पैरों में दर्द।

1अगर गर्भाशय फाइब्रॉइड का आकार बड़ा हो चुका है तो डॉक्टर्स इसका इलाज या तो दवाइयां दे कर करते हैं या फिर दूरबीन वाली (Hysteroscopy/Laparoscopy) सर्जरी द्वारा।


प्रेग्नेंसी और गर्भाषय फायब्रॉइड-

1भले ही यूट्रस में कोई फायब्रॉइड छोटा सा हो, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान वह भी गर्भ की तरह ही बढने लगता है। शुरुआती महीनों में इसकी ग्रोथ ज्यादा तेजी से होती है। इसमें बहुत दर्द और ब्लीडिंग होती है, कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड सकता है। लेकिन आज के समय में डॉक्टर, यूट्रस के भीतर तक देख कर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि फायब्रॉइड विकसित होते भ्रूण की जगह न ले सकें। अल्ट्रासाउंड के जरिये भ्रूण और फायब्रॉयड्स के विकास की पूरी प्रक्रिया को देखा जा सकता है। कई बार फायब्रॉयड्स सर्विक्स की साइड में या लोअर साइड में हों तो इनसे बर्थ कैनाल ब्लॉक हो जाती है और नॉर्मल डिलिवरी नहीं हो सकती, तब सी-सेक्शन करना पडता है।


गर्भाशय फाइब्रॉइड (गांठ) का उपचार-

1गर्भाशय फाइब्रॉइड का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपके अंदर किस प्रकार के लक्षण नजर आ रहे हैं। अगर आपको फाइब्रॉइड है, लेकिन कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो इलाज की जरूरत नहीं होती। फिर भी डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाते रहें। वहीं, अगर आप मीनोपाॅज़ के पास हैं, तो आपके फाइब्रॉइड सिकुड़ने लगते हैं। इसके अलावा, अगर आपमें फाइब्रॉइड के लक्षण नजर आते हैं, तो उनका इलाज बीमारी की स्थिति के अनुसार किया जाता है।


महिला के गर्भाशय बच्चेदानी  में फाइब्रॉईड की होम्योपैथिक चैलेंज उपचार इन हिंदी


 डॉ सरोज सिंह  


1महिला का हारमोंस डिसबैलेंस होने के कारण किसी भी उम्र मैं जिस लड़की को एम सी शुरू हुई है या जो महिला है जिसका एम सी मेनोपॉज की स्थिति में हो  तो महिला दोनों स्थिति मैं  बच्चेदानी में फाइब्रॉईड हो सकता है इसमें अंग्रेजी दवाएं नहीं कारगर है इसमें होम्योपैथिक दवाएं

2 मैंने अपने चिकित्सा का अनुभूत प्रयोग लगभग 1000 महिलाओं पर फाइब्रॉयड सही किया गया और फाइब्रॉयड के समय एम सी लगातार महिला को आते हैं उसे भी सही किया गया है पूरी तरह महिला स्वस्थ है इसमें होम्योपैथिक दवा को दे कर ठीक किया  हूं एक चम्मच पानी में 10  वूद तीन टाइम देने से एक माह में चमत्कारी तरीके से फाइब्रॉयड  गायब हो गया इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है लेकिन होम्योपैथिक डॉक्टर से डोज का फिक्सेशन करा कर ले




सर्जरी कराने से पहले महिला को कंसीव करने के लिए जानकारी लेना आवश्यक 


1जब लक्षण बेहद गंभीर हों, तो डॉक्टर सर्जरी करने का निर्णय लेते हैं। यहां हम कुछ प्रमुख सर्जरी की प्रक्रियाओं के बारे में बता रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ सर्जरी के बाद महिला के गर्भवती होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। इसलिए, सर्जरी कराने से पहले एक बार डॉक्टर से इस विषय में विस्तार से बात कर लें।


महिला के बच्चेदानी की एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टोमीः

1डॉक्टर पेट में कट लगाकर गर्भाशय को बाहर निकालते है जिससे फाइब्रॉएड भी साथ में ही बाहर आ जाता हैं। यह प्रक्रिया उसी प्रकार होती है, जैसे सिजेरियन डिलीवरी के दौरान होती है।

2 वजाइनल हिस्टेरेक्टोमीः डॉक्टर पेट में कट लगाने की जगह योनी के रास्ते गर्भाशय को बाहर निकालते हैं और गर्भाशय के साथ फाइब्रॉएड को हटाते हैं। अगर फाइब्रॉएड का आकार बड़ा है, तो डॉक्टर इस सर्जरी को नहीं करने का निर्णय लेते हैं।

3 लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टोमीः वजाइनल हिस्टेरेक्टोमी की तरह यह सर्जरी भी कम जोखिम भरी है और इसमें मरीज को रिकवर होने में कम समय लगता है। यह सर्जरी सिर्फ कुछ मामलों में ही प्रयोग की जाती है।

 4मायोमेक्टोमी: इस सर्जरी में गर्भाशय की दीवार से फाइब्रॉएड को हटाया जाता है। अगर आप भविष्य में गर्भवती होने की सोच रही हैं, तो डॉक्टर सर्जरी के लिए इस विकल्प को चुन सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि यह सर्जरी हर प्रकार के फाइब्रॉएड के लिए उपयुक्त नहीं है।

5 हिस्टेरोस्कोपिक रिसेक्शन ऑफ फाइब्रॉइडः इसमें फाइब्रॉएड को हटाने के लिए पतली दूरबीन (हिस्टेरोस्कोपी) और छोटे सर्जिकल उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। इसके जरिए गर्भाशय के अंदर पनप रहे फाइब्रॉइड को निकाला जाता है। जो महिलाएं भविष्य में गर्भवती होना चाहती हैं, उनके लिए यह सर्जरी सबसे उपयुक्त है।

होम्योपैथिक दवाओं का डोज होम्योपैथिक डॉक्टर से फिक्स कराकर ही पिए


नोटइससे जूझ रहीं महिलाओं को अब चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि फाइब्राॅइड के बावजूद भी कठिन से कठिन परिस्थितियों महिला को गर्भ धारण होम्योपैथिक दवाई से कराया गया

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