अल्जाइमर रोग क्या है in Hindi
अल्जाइमर रोग क्या है (भूलने की बीमारी)
अल्जाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, कई मामलों में मस्तिष्क में सिकुड़न की भी समस्या हो सकती है। इस जटिलता के कारण लोगों में याददाश्त संबंधी समस्याओं के साथ संज्ञानात्मक क्षमता में कमी आ सकती है। अल्जाइमर रोग के कारण लोगों का दैनिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
अल्जाइमर रोग के लक्षण वा पुरुष महिला अल्जाइमर की चपेट में किसकी कमी से आते हैं
1भूलने का रोग' है। इसका नाम अलोइस अल्जाइमर पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले इसका विवरण दिया। इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना2, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना तथा फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सर में कई बार चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होती है
3 हालाँकि बीमारी के शुरूआती दौर में नियमित जाँच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है। मस्तिष्क के स्नायुओं के क्षरण से रोगियों की बौद्धिक क्षमता और व्यावहारिक लक्षणों पर भी असर पड़ता है।
4हम जैसे-जैसे बूढ़े होते जाते हैं, हमारी सोचने और याद करने की क्षमता भी कमजोर होती जाती है। लेकिन इसका गंभीर होना और हमारे दिमाग के काम करने की क्षमता में गंभीर बदलाव उम्र बढ़ने का सामान्य लक्षण नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि हमारे दिमाग की कोशिकाएं मर रही हैं। दिमाग में एक सौ अरब कोशिकाएं (न्यूरॉन) होती हैं। हरेक कोशिका बहुत सारी अन्य कोशिकाओं से संवाद कर एक नेटवर्क बनाती हैं। इस नेटवर्क का काम विशेष होता है। कुछ सोचती हैं, सीखती हैं और याद रखती हैं। अन्य कोशिकाएं हमें देखने, सुनने, सूंघने आदि में मदद करती हैं। इसके अलावा अन्य कोशिकाएं हमारी मांसपेशियों को चलने का निर्देश देती हैं।
5अपना काम करने के लिए दिमाग की कोशिकाएं लघु उद्योग की तरह काम करती हैं। वे सप्लाई लेती हैं, ऊर्जा पैदा करती हैं, अंगों का निर्माण करती हैं और बेकार चीजों को बाहर निकालती हैं। कोशिकाएं सूचनाओं को जमा करती हैं और फिर उनका प्रसंस्करण भी करती हैं। शरीर को चलते रहने के लिए समन्वय के साथ बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन और ईंधन की जरूरत होती है।
6अल्जाइमर रोग में कोशिकाओं की उद्योग का हिस्सा काम करना बंद कर देता है, जिससे दूसरे कामों पर भी असर पड़ता है। जैसे-जैसे नुक्सान बढ़ता है, कोशिकाओं में काम करने की ताकत कम होती जाती है और अंततः वे मर जाती हैं।
अल्जाइमर पर डॉक्टर सरोज सिंह की अनुभूत चिकित्सा:
अल्ज़ाइमर रोग
(Alzheimer's Disease)
1यह एक मानसिक क्षय की अवस्था है जिसे सामान्यतया वृद्धावस्था से पूर्व की विक्षिप्त अवस्था या मनोविकृति के रूप में जाना जाता है। यह 40-60 आयु वर्ग में पाई जाती है। शोध से ज्ञात हुआ है कि यह घुलनशील एल्युमिनियम के अत्यधिक प्रयोग के कारण विकसित होती है
2जो सामान्यतया या वृहद स्तर पर प्रयोग की जाने वाली एंटासिड, जो पाचक औषधियों तथा भोजन पकाने के बर्तनों में भी पाया जाता है। एल्युमिनियम अल्जाइमर रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के मस्तिष्क में काफी मात्रा में पाया जाता है। इस अवस्था के लिए एल्युमिनियम को आंशिक रूप से दोषी माना जाता है
3 यदि इसका उपचार शीघ्र न हो तो उत्तरोत्तर जैविक मस्तिष्कीय कोशिकाओं को नष्ट करती जाती है। यह बीमारी व्यवहार में परिवर्तन, सीखने व याद करने में कठिनता विकृत निर्णय क्षमता, दुविधा, बोल पाने में समस्या, पेशी सामंजस्य में कमी तथा बैचेनी उत्पन्न करती है। इस रोग को निरंतर निरीक्षण, सावधानी व बुद्धिमत्ता से चुनी गई निर्दिष्ट औषधि के उचित प्रयोग की आवश्यकता होती है।
4 इसका एक विशिष्ट लक्षण यह है कि रोगी पुरानी घटनाओं को याद रखता है। परंतु सबसे नवीन घटनाओं को भूल जाता है। विटामिन ई सी. एल्युमिनियम के प्रतिविष के रूप में कार्य करती है।
5नवीन खोजों से यह स्पष्ट होता है कि गंभीर मस्तिष्कीय चोट, वयस्क • जीवन के प्रारंभ में इस रोग से सम्बन्ध दर्शाता है तथा बाद के जीवन में मनोविकृति उत्पन्न कर सकता है। निम्न लक्षण इस रोग की ओर संकेत करते हैं।
अल्जाइमर के लक्षण डॉ सरोज सिंह की चिकित्सा
1 अत्यधिक शंकालु व भयभीत अन्यमनस्क ।
2. मनोस्थिति में तीव्र परिवर्तन- रोने से अचानक हंसना या क्रोध
3. वस्तुओं को गलत स्थान पर रखना जैसे घड़ी को चीनी के डिब्बे में। या इस्त्री को फ्रिज में रख देगा।
4. वह गर्म वस्त्र ग्रीष्म ऋतु में पहन सकता है तथा शीतऋतु में गर्मी के
वस्त्र पहन सकता है।
5. वह अपनी गली में खो जाता है उसे समय व स्थान की कोई याद नहीं रहती।
6. स्मरणशक्ति का लोप घनिष्ट व्यक्तियों का नाम भूल जाता है। भू जाता है कि भोजन स्टोव पर पकने के लिए छोड़ा थ, जब तक कि जल न जाएं। सही अवसर पर सटीक शब्द नहीं खोज पाता।
https://youtu.be/4kIJg5Y6WBU
https://youtu.be/4kIJg5Y6WBU
टिप्पणी 1. अल्जाइमर रोग, मस्तिष्क में निश्चित स्नायु कोशिका के नष्ट हो जाने के कारण उपरोक्त लक्षणों का समूह उत्पन्न करता है। यह रोग युवावस्था में भी आक्रमण कर सकता है। इसके दो रूप हैं (1) स्पोरेडिक (sporadic) जो सबसे ज्यादा होता है तथा (2) आटोसोमल डामिनैन्ट (Autosomal dominant) (एफ ए डी) जो कि पैतृक होता है। एक तर रखा
अल्जाइमर का होम्योपैथिक इलाज 100%डॉ सरोज सिंह
टिप्पणी 2. लाइकोपोडियम व रोजमेरिनस में हेपरजाइन (Haperzine) नामक एक पदार्थ होता है जो मस्तिष्कीय रसायन एसिटाइल कोलीन के नष्ट होने की प्रक्रिया को कम करता है, जो स्मरणशक्ति को बनाए रखने के लिए अत्यावश्यक है। ये दोनों औषधियां जिंग्को bi बाइलोबा (Gingco biloba) तथा विटामिन ई के साथ स्मरण शक्ति बनाए रखने में उपयोगी सिद्ध हुई हैं। मिश्रण तर अन्य साथी
1अल्जाइमर रोग दुनियाभर में तेजी से बढ़ते न्यूरोलॉजिकल विकारों में से एक है। इसे डेमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार भी माना जाता है। आंकड़ों के मुताबिक अकेले अमेरिका में हर साल इस रोग के 5 मिलियन (50 लाख) मामले सामने आते हैं, विशेषज्ञों को आशंका है कि साल 2060 तक इसके सालाना मामलों में लगभग तीन गुना तक की वृद्धि हो सकती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अल्जाइमर रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 21 सितंबर को 'वर्ल्ड अल्जाइमर डे' मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस रोग के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाकर उन्हें सुरक्षित रहने में मदद की जा सकती है।
2अल्जाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिक विकार है जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, कई मामलों में मस्तिष्क में सिकुड़न की भी समस्या हो सकती है। इस जटिलता के कारण लोगों में याददाश्त संबंधी समस्याओं के साथ संज्ञानात्मक क्षमता में कमी आ सकती है। अल्जाइमर रोग के कारण लोगों का दैनिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में विशेषज्ञों से इस रोग के बारे में विस्तार से जानते
3अल्जाइमर रोग देश में मृत्यु के छठे प्रमुख कारणों में से एक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मस्तिष्क में प्लाक और टैंगल के कारण लोगों में इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। कुछ स्थितियों में यह भी देखने को मिला है कि मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच आपसी समन्वय में क्षति के कारण भी यह समस्या हो सकती अधिक आयु वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती रही है, हालांकि कम उम्र के लोगों में भी यह विकार हो सकता है, इसलिए सभी लोगों को इससे सावधान रहना च
4अल्जाइमर रोग के कारण और जोखिम क तो अल्जाइमर रोग को ठीक करने के लिए कोई विशिष्ट उपचार विधि नहीं है, हालांकि रोगियों के लक्षणों को देखते हुए कुछ दवाइयों और थेरपी को प्रयोग में लाया जा सकता है। उपचार का पहला लक्ष्य रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना होता है। कुछ प्रकार की दवाइयों की मदद से लक्षणों को कम करनें में सहायता मिल सकती है। इसके अलावा थेरपी के माध्यम से स्थिति और रोगी के व्यवहार में सुधार करने का प्रयास किया जाता है। जितनी जल्दी समस्या का निदान हो जाए, रोग को ठीक होने में उतना ही कम समय लगता है
नियमित रूप से व्यायाम करें।लाइव योगा अल्जाइमर 3 माह में खत्म यादाश्त तेज
अखरोट 50% कोशिका तंत्र को स्वस्थ पहुंचाने मैं कारगर सिद्ध हुआ डॉ सरोज सिंह
योगा
1उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हाई कोलेस्ट्रॉल के रोकथाम और नियंत्रण का प्रयास करें।
अल्जाइमर रोग नियमित व्यायाम दैनिक आदतों जैसे कंप्यूटर मोबाइल का कम इस्तेमाल करना खाद्य पदार्थ में जैसे आयल का प्रयोग करना सरसों का तेल जो हृदय को स्वस्थ रखें और हृदय रोग से संबंधित बीमारियों से बचाए रिच डाइट लेना आवश्यक है
2रही बात शुगर बीपी कॉलेज ट्रॉल भी जिम्मेदार हैं क्योंकि मस्तिष्क कोशिकाओं का क्षरण करने में सभी जिम्मेदार हैं जब तंत्रिका का क्षरण होने लगता है तो मस्तिष्क की कोशिकाओं में सिकुड़न देखने को मिला है जब पूरे शरीर का प्रोटीन हर समय एक जैसा नहीं रहता तो शरीर में कोशिकाओं का क्षरण होता है
3शरीर L F T लिवर फंक्शन टेस्ट बीमारियों की चपेट में आ जाता है तो जैसे लीवर प्रोटीन का मेन जिम्मेदार है तो लीवर की जांच साल भर में एक बार होना आवश्यक है उस जांच का से शरीर में प्रोटीन हमारे ज्यादा तो नहीं निकल रहा है इसका पता लगाया जाता हैअगर लीवर के फंक्शन खराब है तो पूरे शरीर को प्रोटीन नहीं मिल पाता है फिर बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं क्योंकि प्रोटीन लीवर में ही स्टोर होता है तो लिवर फंक्शन सही कर अल्जाइमर से बचा जा सकता है
-4-प्रोटीन का जिम्मेदार केएफटी किडनी फंक्शन टेस्ट भी है क्योंकि किडनी का फंक्शन शुगर बीपी होने के कारण डिस्टर्ब हो जाता है तो किडनी अपना वर्क नहीं कर पाती है जिससे हमारा प्रोटीन पेशाब के रास्ते ज्यादा निकलता है तो हमारे शरीर के किसी आर्गन को प्रोटीन नहीं मिल पाता है यह जानकारी हम लोगों को ना होने के कारण शरीर में आवश्यक प्रोटीन सभी अंगों को नहीं मिल पाती है जिससे हम अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के चपेट में आ जाते हैं--------------
5किडनी फंक्शन टेस्ट साल में जो बीपी शुगर की चपेट में जिसको बीपी शुगर नहीं है 2 साल में एक बार जांच कराना होता है जिसे कभी शारीरिक रूप से वीकनेस कमजोरी लगे तो अपना लीवर और किडनी फंक्शन जांच कराना जरूरी है जिससे यह पता लग जाएगा कि हमारे शरीर में प्रोटीन जो मैं खा रहा हूं वह जा रहा है कि बाहर निकल रहा है यूरिन और टॉक्सिन के माध्यम से तो जीवन मेंजब किडनी का फंक्शन खराब होता है तो शरीर को प्रोटीन उपलब्ध नहीं करा पाती तो लीवर में स्टोर होता है किडनी के थ्रू फिल्टर होकर सारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता है तो आवश्यक है की किडनी का वर्क अच्छा जिससे पूरे शरीर को प्रोटीन मिल सके और शरीर हेल्थी रहे नहीं तो बीमारियों की चपेट में आना तय है
मनुष्य अल्जाइमर की चपेट में किडनी खराब होने की स्थिति में आता है
6शारीरिक रूप से योगा कर शरीर के सारे फंक्शन को मेंटेन करें जिससे हार्ड लीवर किडनी अच्छा वर्क करें अच्छा वर्क करेगी तो हमारे ब्रेन को अच्छा प्रोटीन मिलेगा जब प्रोटीन मिलेगा तो हमारे ब्रेन की तंत्रिका तंत्र को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध होता रहेगाऔर तंत्रिका ए स्वस्थ रहेंगे तो मनुष्य अल्जाइमर की चपेट में आ ही नहीं सकता और स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकता है
7 मनुष्य अल्जाइमरको प्रोटीन देने के लिए नेचर ने अखरोट जो दिमाग की शक्ल का है ऊपर वाले ने खुद बनाया है जो ब्रेन के सारे फंक्शन को मेंटेन करने की ताकत रखती हैं तो आप लोग अपने डाइट में अखरोट को शामिल कर स्वस्थ मस्तिष्क का आनंद लें
पांच चीजें खाने से मेमोरी लॉस होती है लेटेस्ट अपडेटतो इससे इससे मेमोरी लॉस (Memory Loss) और ब्रेन इंफ्लामेशन (Brain Inflammation) का जोखिम बढ़ जाता है. इस तरह की चीजें मानसिक रोग जैसे अल्जाइमर और डिमेंशिया के खतरे को भी बढ़ा देती हैं और आंत के अच्छे बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचाती हैं.
हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजें
हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजें ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ाती हैं. ब्रेड और पास्ता जैसी चीजें रिफाइंड कार्ब्स की श्रेणी में आती हैं. इन चीजों को न खाएं. ये वजन बढ़ने, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर और डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ा देती हैं.
1हाई नाइट्रेट फूड
हाई नाइट्रेट फूड का भी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है. ये आंत के अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचाता है और बाइपोलर डिसऑर्डर की स्थिति पैदा कर सकता है. इसका इस्तेमाल भोजन के रंग को बेहतर करने के लिए किया जाता है. सलामी, सॉसेज और बेकॉन जैसी चीजें न खाएं.
2शराब
शराब के सेवन से ब्रेन फॉग और मनोभ्रंश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के मुताबिक, जो लोग शराब का सेवन करते हैं. उनमें डिमेंशिया की स्थिति पैदा होने का जोखिम बढ़ जाता है.
3डीप फ्राइड फूड
डीप फ्राइड फूड खाना भी आपकी कॉग्निटिव हेल्थ पर असर डालता है. एक अध्ययन के मुताबिक, जो लोग अधिक मात्रा में तली हुई चीजें खाते हैं. उनकी याददाश्त कमजोर होने लगती है. इन चीजों का सेवन रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करता है. डीप फ्राइड फूड खाना डिप्रेशन के जोखिम को भी बढ़ा देता है.
कहीं आपको भी तो नहीं लगातार चावल खाने की आदत? तुरंत बदल दें वरना पछताए
ऐडैड शुगर वाली 4 चीजें
शुगर वाली चीजों को बॉडी ग्लूकोज में तब्दील कर देती है. इससे एनर्जी मिलती है, लेकिन जब आप अधिक मात्रा में शुगर का सेवन करते हैं तो ये ब्रेन फंक्शन और मेमोरी पर असर डालता है. बेक्ड फूड और शुगर युक्त सोडा का सेवन करने से बचें. आर्टिफिशियल शुगर से बनी चीजें खाना आपकी ब्रेन हेल्थ पर खराब असर डालता है.
अगला रिसर्च आने पर जल्द अपडेट किया जाएगा डॉ सरोज सिंह
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