अश्वगंधा और शहद के फायदे पुरुष azoospermia को ठीक करता है
अश्वगंधा और शहद के फायदे- Ashwagandha Aur Shahad
अश्वगंधा सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है, आयुर्वेद में अश्वगंधा को बहुत ही लाभकारी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें शरीर के लिए फायदेमंद न्यूरोप्रोटेक्टिव और एंटी इंफ्लेमेटरी गुए पाए जाते हैं। इसका फायदा तब और भी ज्यादा हो जाता है जब हम इसमें शहद (Honey And Ashwagandha) मिला देते हैं। दोनों को एक साथ मिलाकर सेवन करने से शरीर को कई सारे फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं इन दोनों को खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं।पुरुष नीली स्पर्म azoospermia सही करने के लिए सेवन विधि देखें
अश्वगंधा और शहद के फायदे Ashwagandha And Honey Health Benefits in Hindi
जिन्हें ट्यूमर की समस्या है उन्हें अश्वगंधा के साथ शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। दरअसल, अश्वगंधा में एंटीट्यूमर गुण पाए जाते हैं और शहद के साथ इसका सेवन करने से शरीर में ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
इम्यूनिटी बूस्टर (Ashwagandha and Honey Helps to improve immunity)
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अश्वगंधा के साथ शहद का सेवन करना चाहिए। ये इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करते हैं। इसके साथ ही शरीर में सूजन की समस्या में भी दोनों काफी लाभकारी हैं।
कोलेस्ट्रॉल (Honey and Ashwagandha in Cholesterol)
शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल को बढ़ाने में अश्वगंधा और शहद का सेवन कारगर माना गया है।
ब्रेन की कोशिकाओं का क्षरण रोकता है ब्रेन को ताकत देता है तनाव को दूर करता है उपचार इन हिंदी
दिमाग में मनुष्य के एक अरब कोशिकाएं होती हैं जिसका क्षरण होता रहता है क्षरण होने के बाद नींद ना आना अल्जाइमर जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है तो अश्वगंधा मानसिक क्षरण को रोककर ब्रेन को ताकत देता है जिससे नींद भूलने की समस्या पार्किंसन से छुटकारा मिल जाता है मानसिक समस्याओं में अश्वगंधा तो फायदेमंद है ही। इसके साथ ही अगर कोई नपुंसकता की समस्या या फिर तनाव-अनिद्रा आदि से परेशान हैं तो अश्वगंधा के साथ शहद का सेवन करने से लाभ मिलेगा
आंखों की बढ़ती है रोशनी (Honey and Ashwagandha increases eyesight)
1आंखों से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं तो अश्वगंधा के साथ शहद का सेवन करना शुरू कर दें। इसके साथ ही नियमित रूप से दोनों का सेवन करने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं
अश्वगंधा के फायदे,सेवन विधि (Ashwagandha Benefits in Hindi)
1अश्वगंधा पाउडर आधा चम्मच दूध में गर्म करके सुबह शाम खाली पेट लेने से अच्छा लाभ मिलता है चेहरे पर झुर्रियां हट जाती हैं क्योंकि शरीर के सेल को रीजेनरेट करने का पावर रखता है अश्वगंधा
2अश्वगंधा पाउडर हनी दोनों मिलाकर 10 बार मर्दन कर ले उसके बाद सुबह शाम चाटे इस से ताकत बढ़तीतुरंत ऊर्जा को उत्पन्न करता है जैसे रेस करना है तो इस तरीके से लें
3अश्वगंधा खड़ा लेकर 200 ग्राम अश्वगंधा आधा लीटर पानी 1 सप्ताह की भिगो दें उसके बाद जब दोनों को गर्म कर लेंगे छानकर सुबह-शाम 25 ml पानी में दो ढक्कन खाली पेट लेने से स्पर्म काउंट की बढ़ोतरी होती निल स्पर्म azoospermia2 माह में 80 मिलियन के पार कर देता है स्पर्म को
अश्वगंधा का परिचय (Introduction of Ashwagandha)
आपने कई बार अश्वगंधा का नाम सुना होगा। अखबारों या टीवी में अश्वगंधा के विज्ञापन आदि भी देखे होंगे। आप सोचते होंगे कि अश्वगंधा क्या है या अश्वगंधा के गुण क्या है? दरअसल अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का प्रयोग कई रोगों में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि मोटापा घटाने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अश्वगंधा के फायदे और भी हैं।
अश्वगंधा के कुछ खास औषधीय गुणों के कारण यह बहुत तेजी से प्रचलित हुआ है। आइए आपको बताते हैं आप अश्वगंधा का प्रयोग किन-किन बीमारियों में और कैसे कर सकते हैंः-
अश्वगंधा क्या है? (What is Ashwagandha
अलग-अलग देशों में अश्वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन असली असगंधा की पहचान करने के लिए इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है। असगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। वन में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले अश्वगंधा की गुणवत्ता अच्छी होती है। तेल निकालने के लिए वनों में पाया जाने वाला अश्वगंधा का पौधा ही अच्छा माना जाता है। इसके दो प्रकार हैं-
छोटी असगंध (अश्वगंधा)
इसकी झाड़ी छोटी होने से यह छोटी असगंध कहलाती है, लेकिन इसकी जड़ बड़ी होती है। राजस्थान के नागौर यह बहुत अधिक पाई जाती है और वहां के जलवायु के प्रभाव से यह विशेष प्रभावशाली होती है। इसीलिए इसको नागौरी असगंध भी कहते हैं।
बड़ी या देशी असगंध (अश्वगंधा)
इसकी झाड़ी बड़ी होती है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली होती हैं। यह बाग-बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में सामान्य रूप में पाई जाती है। असगंध में कब्ज गुणों की प्रधानता होने से और उसकी गंध कुछ घोड़े के पेशाब जैसी होने से संस्कृत में इसकी बाजी या घोड़े से संबंधित नाम रखे गए हैं।
बाहरी आकृति
बाजार में अश्वगंधा की दो प्रजातियां मिलती हैंः-
पहली मूल अश्वगंधा Withania somnifera (Linn.) Dunal, जो 0.3-2 मीटर ऊंचा, सीधा, धूसर रंग का घनरोमश तना वाला होता है।
दूसरी काकनज Withania coagulans (Stocks) Duanl, जो लगभग 1.2 मीटर तक ऊंचा, झाड़ीदार तना वाला होता है।
अनेक भाषाओं में अश्वगंधा के नाम (Ashwagandha Called in Different Languages)
अश्वगंधा को लोग आम बोलचाल में असगंध के तौर पर जानते हैं, लेकिन देश-विदेश में इसको कई नाम से जाना जाता है। अश्वगंधा का का वानस्पतिक नाम (Botanical name) Withania somnifera (L.) Dunal (विथेनिआ सॉम्नीफेरा) Syn-Physalis somnifera Linn. है और इसके अन्य नाम ये हैंः-
Ashwagandha in:-
Hindi (ashwagandha in hindi) – असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
English – Winter cherry (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry)
Sanskrit – वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
Oriya – असुंध (Asugandha)
Urdu – असगंधनागोरी (Asgandanagori)
Kannada – अमनगुरा (Amangura), विरेमङड्लनागड्डी (Viremaddlnagaddi)
Gujarati – आसन्ध (Aasandh), घोडासोडा (Ghodasoda), असोड़ा (Asoda)
Tamil – चुवदिग (Chuvdig), अमुक्किरा (Amukkira), अम्कुंग (Amkulang)
Telugu – पैन्नेरुगड्डु (Panerugaddu), आंड्रा (Andra), अश्वगन्धी (Ashwagandhi)
Bengali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
Nepali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
Punjabi – असगंद (Asgand)
Malyalam – अमुक्कुरम (Amukkuram)
Marathi (ashwagandha in marathi) – असकन्धा (Askandha), टिल्लि (Tilli)
Arabic – तुख्मे हयात (Tukhme hayat), काकनजे हिन्दी (Kaknaje hindi)
Farasi – मेहरनानबरारी (Mehernanbarari), असगंध-ए-नागौरी (Ashgandh-e-nagori)
अश्वगंधा के फायदे (Ashwagandha Benefits and Uses in Hindi)
अश्वगंधा का इस्तेमाल पत्ते, इसके चूर्ण (Ashwagandha Powder) के लिए किया जाता है। कई रोगों में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का औषधीय इस्तेमाल इस तरह से किया जाना चाहिएः-
सफेद बाल की समस्या को रोकने में करें अश्वगंधा का प्रयोग (Use Ashwagandha Powder to Stop Gray Hair Problem in Hindi)
2-4 ग्राम अश्वगंधादि चूर्ण (Ashgandha Churn benefits) का सेवन करें। इससे समय से पहले बालों के सफेदद होने की समस्या ठीक होती है।
आंखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा (Ashwagandha Benefits in Increasing Eyesight in Hindi
2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल) और 1 ग्राम मुलेठी को आपस में मिलाकर, पीसकर चूर्ण कर लें। एक चम्मच चूर्ण को सबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है।
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गले के रोग (गलगंड) में करें अश्वगंधा का सेवन (Ashwagandha Uses to Cure Goiter in Hindi)
अश्वगंधा के पत्ते का चूर्ण (ashwagandha powder benefits) तथा पुराने गुड़ को बराबार मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें। इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्वगंधा के पत्ते का पेस्ट तैयार करें। इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।
टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोग (Ashwagandha Benefits in Tuberculosis (T.B.) Treatment in Hindi)
अश्वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें। इससे टीबी में लाभ होता है।
अश्वगंधा की जड़ से चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है।
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अश्वगंधा के इस्तेमाल से खांसी का इलाज (Ashwagandha Uses in Getting Relief from Cough in Hindi)
असगंधा की 10 ग्राम जड़ों को कूट लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं। जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में विशेष लाभ होता है।
असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें। इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।
छाती के दर्द में अश्वगंधा से लाभ (Ashwagandha Powder Helps getting Relief from Chest Pain in Hindi)
अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा का जल के साथ सेवन करें। इससे सीने के दर्द में लाभ (ashwagandha powder benefits) होता है।
पुरुष महिला 30 उम्र के बाद हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण की जानकारी व उपचार इन हिंदी
1आजकल 30 की उम्र पार होते होते लड़का लड़की जैसे युवा होते हैं जंक फूड का ज्यादा सेवन कर लेते हैं 21 की उम्र के बाद शारीरिक विकास होना बंद हो जाता है तो जो भी खाते हैं वाह बैड कोलेस्ट्रॉल मैं कन्वर्ट हो जाता है हार्ड की ब्लॉकेज को अंदर अंदर बढ़ाता जाता है लेकिन अज्ञानता बस 10 साल तक शरीर को किसी तरह ठेल कर चलाते हैं 40 की उम्र में हार्ड अटैक जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है यह कैसी विडंबना है की युवा हुए नहीं बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो गए तो हार्ड 50 परसेंट ब्लॉकेज के बाद संकेत देने लगता है जैसे सांस फूलना धड़कन बढ़ जाना दौड़ने में परेशानी होना जैसी समस्या उत्पन्न होती है
2अश्वगंधा के सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल 2 माह में खत्म हो जाता है जिसे trigestail कहते हैं यह हार्ड अटैक को बढ़ावा देता है बढ़ावा क्या जब हार्ड की सारी नसों में कोलेस्ट्रोल जमा हो गया है तो हार्ड को शुद्ध ऑक्सीजन वाला ब्लड हार्ड को नहीं मिल पाएगा तो हार्ड अटैक होना ही है
पेट की बीमारी में अश्वगंधा से फायदा (Ashwagandha Churna Cures Abdominal or Intestinal Worms in Hindi)
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे आप पेट के रोग में भी ले सकते हैं। पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिला लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म (ashwagandha ke fayde) होते हैं।
अश्वगंधा चूर्ण में बराबर भाग में गिलोय का चूर्ण मिला लें। इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों का उपचार होता है।
अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से कब्ज की समस्या का इलाज (Ashwagandha Powder Benefits in Fighting with Constipation in Hindi)
असगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की परेशानी से छुटकारा मिलता है।
गर्भधारण करने में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ (Ashwagandha Churna Helps in Pregnancy Problem in Hindi)
20 ग्राम असगंधा चूर्ण को एक लीटर पानी तथा 250 मिलीग्राम गाय के दूध में मिला लें। इसे कम आंच पर पकाएं। जब इसमें केवल दूध बचा रह जाय तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिला लें। इस व्यंजन का मासिक धर्म के शुद्धिस्नान के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने से यह गर्भधारण में सहायक (ashwagandha ke fayde) होता है।
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे गर्भधारण की समस्या में भी मिलते हैं। असगंधा चूर्ण को गाय के घी में मिला लें। मासिक-धर्म स्नान के बाद हर दिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन लगातार एक माह तक करें। यह गर्भधारण में सहायक होता है।
असगंधा और सफेद कटेरी की जड़ लें। इन दोनों के 10-10 मिलीग्राम रस का पहले महीने से पांच महीने तक की गर्भवती स्त्रियों को सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होता
ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से फायदा (Ashwagandha Root Benefits to Cure Leukorrhea in Hindi)
2-4 ग्राम असगंधा की जड़ के चूर्ण (ashwagandha powder benefits) में मिश्री मिला लें। इसे गाय के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
अश्वगंधा, तिल, उड़द, गुड़ तथा घी को समान मात्रा में लें। इसे लड्डू बनाकर खिलाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
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इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का प्रयोग (Ashwagandha Powder Uses in Penis Weakness Problem in Hindi)
असगंधा के चूर्ण को कपड़े से छान कर (कपड़छन चूर्ण) उसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह में भोजन से तीन घंटे पहले सेवन करें।
रात के समय अश्वगंधा की जड़े के बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर लिंग में लगाने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता (ashwagandha ke fayde) दूर होती है।
असगंधा, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर छान लें। इसे गाय के मक्खन में मिलाकर सुबह और शाम शिश्न (लिंग) के आगे का भाग छोड़कर शेष लिंग पर लगाएं। थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। इससे लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।
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अश्वगंधा का गुम गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद (Ashwagandha Benefits in Getting Relief from Arthritis in Hindi)
2 ग्राम असगंधा चूर्ण को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी या शक्कर के साथ खाने से गठिया में फायदा (ashwagandha ke fayde) होता है।
इससे कमर दर्द और नींद न आने की समसया में भी लाभ होता है।
असगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्तों को, 250 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें। एक सप्ताह तक पीने से कफ से होने वाले वात तथा गठिया रोग में विशेष लाभ होता है। इसका लेप भी लाभदायक है।
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चोट लगने पर करें अश्वगंधा का सेवन (Uses of Ashwagandha in Injury in Hindi)
अश्वगंधा के चूर्ण में गुड़ या घी मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करने से शस्त्र के चोट से होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
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अश्वगंधा के प्रयोग से त्वचा रोग का इलाज (Benefits of Ashwagandha in Treating Skin Diseases in Hindi)
अश्वगंधा के पत्तों का पेस्ट तैयार लें। इसका लेप या पत्तों के काढ़े से धोने से त्वचा में लगने वाले कीड़े ठीक होते है। इससे मधुमेह से होने वाले घाव तथा अन्य प्रकार के घावों का इलाज होता है। यह सूजन को दूर करने में लाभप्रद होता है।
अश्वगंधा की जड़ को पीसकर, गुनगुना करके लेप करने से विसर्प रोग की समस्या में लाभ (ashwagandha ke fayde) होता है।
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अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी (Ashwagandha Uses to Cure Body Weakness in Hindi)
2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक वर्ष तक बताई गई विधि से सेवन करने से शरीर रोग मुक्त तथा बलवान हो जाता है।
10-10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, तिल व घी लें। इसमें तीन ग्राम शहर मिलाकर जाड़े के दिनों में रोजाना 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है।
6 ग्राम असगंधा चूर्ण में उतने ही भाग मिश्री और शहद मिला लें। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाएं। इस मिश्रण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शीतकाल में 4 महीने तक सेवन करने से शरीर का पोषण होता है।
3 ग्राम असगंधा मूल चूर्ण को पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति ताजे दूध (कच्चा/धारोष्ण) के साथ सेवन करें। वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल के साथ सेवन करें और कफ प्रकृति का व्यक्ति गुनगुने जल के साथ एक साल तक सेवन करें। इससे शारीरिक कमोजरी दूर (ashwagandha ke fayde) होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
20 ग्राम असगंधा चूर्ण, तिल 40 ग्राम और उड़द 160 ग्राम लें। इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक महीने तक सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म हो जाती है।
असगंधा की जड़ और चिरायता को बराबर भाग में लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिला लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म (ashwagandha ke fayde) हो जाती है।
एक ग्राम असगंधा चूर्ण में 125 मिग्रा मिश्री डालकर, गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य विकार दूर होकर वीर्य मजबूत होता है तथा बल बढ़ता है।
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रक्त विकार में अश्वगंधा के चूर्ण से लाभ (Benefits of Ashwagandha in Blood Related Disorder in Hindi)
अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में चोपचीनी चूर्ण या चिरायता का चूर्ण मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से खून में होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।
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बुखार उतारने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग (Uses of Ashwagandha in Fighting with Fever in Hindi)
2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा 1 ग्राम गिलोय सत् (जूस) को मिला लें। इसे हर दिन शाम को गुनगुने पानी या शहद के साथ खाने से पुराना बुखार ठीक होता है।
और पढ़ें: बुखार में गिलोय का उपयोग
इस्तेमाल के लिए अश्वगंधा के उपयोगी हिस्से (Useful Parts of Ashwagandha)
पत्ते
जड़
फल
बीज
अश्वगंधा से जुड़ी विशेष जानकारी – बाजारों में जो असगंधा बिकती है उसमें काकनज की जड़े मिली हुई होती हैं। कुछ लोग इसे देशी असगंध भी कहते हैं। काकनज की जड़ें असगंधा से कम गुण वाली होती हैं। जंगली अश्वगंधा का बाहरी प्रयोग ज्यादा होता है।
अश्वगंधा के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Ashwagandha)
जड़ का चूर्ण – 2-4 ग्राम
काढ़ा – 10-30 मिलीग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन करें।
अश्वगंधा से नुकसान (Ashwagandha Side Effects)
गर्म प्रकृति वाले व्यक्ति के लिए अश्वगंधा का प्रयोग नुकसानदेह होता है।
अश्वगंधा के नुकसानदेह प्रभाव को गोंद, कतीरा एवं घी के सेवन से ठीक किया जाता है।
अश्वगंधा कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Ashwagandha Found or Grown?)
पूरे भारत में और खासकर सूखे प्रदेशों में अश्वगंधा का पौधा पाए जाते हैं। ये अपने आप उगते हैं। इसकी खेती भी की जाती है। ये वनों में मिल जाते हैं। अश्वगंघा के पौधे 2000-2500 मीटर की ऊंचाई तक
अश्वगंधा के फायदे पुरुष महिला के शरीर के सेल को रीजेनरेट कर के युवा बनाता है इन हिंदी
डॉ सरोज सिंह
अश्वगंधा शरीर के सेल को रीजेनरेट करता है शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का निर्माण करता है श्वेत रक्त कणिकाएं शरीर के एंटीबॉडी को मेंटेन करते हैं फिर शरीर के नए सल रीजेनरेट होते हैं इसलिए अश्वगंधा मनुष्य शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है
पुरुष की नपुंसकता को दूर करता है अश्वगंधा इन हिंदी
डॉ सरोज सिंह
पुरुष की नपुंसकता को दूर करने के लिए शरीर की मेटाबॉलिज्म हार्ट से संबंधित कोलेस्ट्रॉल हार्ड का मजबूत होना बहुत आवश्यक होती है हार्ड में आर्टरी ब्लॉक होने से पुरुषों में नपुंसकता आ जाती है जिससे अश्वगंधा सारे फंक्शन को मेंटेन कर हार्ड के ब्लॉकेज को खोलता है
पुरुष के स्पर्म काउंट को अश्वगंधा मोटा वॉ सीमन स्पर्म काउंट को बढ़ाता है इन हिंदी
डॉ सरोज सिंह
अश्वगंधा का हमने चिकित्सा जीवन में nil sperm per प्रयोग में सफल पाई गई मेरा चैलेंज है निल स्पर्म को 2 माह में 80 मिलीयन को पर कर देता है
अश्वगंधा पुरुष azoospermia nil sperm count को 2 माह में 80 मिलियन किया है इन हिंदी
डॉ सरोज सिंह
नोट पुरुष निल स्पर्म अगर उनके शरीर में pas sal नहीं बढ़ा है है तो अश्वगंधा का सेवन से यह azoospermia है तो मोटिलिटी स्पर्म के सारे फंक्शन स्पर्म का मोरफ़ोलॉजी मेंटेन करने में सफल पाया गया और ऐसी औषधि पर मुझे प्राउड भी होता है कि जीवन को भी बचाती है इसके इतने वर्क हैं कि शायद लिखने में पन्ने कम पड़ जाए
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