मधुमेह की होम्योपैथिक दवा वा जानकारी पार्ट 2

 मधुमेह क्या है होम्योपैथिक व आयुर्वेद के नजरिए से जानकारी डॉ सरोज सिंह

1मधुमेह चयापचय की उस प्रक्रिया को भंग करता है जिससे शरीर भोजन का प्रयोग करता है। इस रोग में शरीर इन्सुलिन उत्पन्न नहीं करता या प्रतिक्रिया नहीं देता। यह हारमोन ऊर्जा उत्पादन तथा वृद्धि के लिए आवश्यक होता है।

(2) सामान्य चयापचयी प्रक्रिया (Normal Metabolism): भोजन ग्रासनली से आमाशय व छोटी आंत में जाता है। जहाँ इसकी कुछ मात्रा शर्करा (ग्लूकोज़) में परिवर्तित हो जाती है, जो कि रक्त प्रवाह में प्रवेश करती है। पैन्क्रियाज़ ग्रंथि बीटा कोशिका से इन्सुलिन का स्राव होता है। यह वह हारमोन है जो ग्लूकोज़ को शरीर की कोशिका में प्रवेश करने में समर्थ बनाता है। कोशिका ग्लूकोज़ का प्रयोग ऊर्जा के लिए करती है या बाद में प्रयोग के लिए वसा के रूप में संचित करती है।

(3) मधुमेह के मुख्य प्रकार (Major forms of Diabete): पहला प्रकार (ज्लचम 

4 एक व्यक्ति पैन्क्रियाज़ के इस प्रकार से पीड़ित होता है। पैन्क्रियाज ग्रंथि अपर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन उत्पन्न करती है या इन्सुलिन उत्पन्न ही नहीं कर पाती तथा व्यक्ति को नित्य इन्सुलिन लेना पड़ता है। सामान्यतया रोग का यह प्रकार 30 वर्ष की आयु से पूर्व आक्रमण करता है। (c) अत्यधिक ग्लूकोज़ वसीय ऊत्तकों में विद्यमान होता है। यकृत तथा पेशियाँ भी बाद में प्रयोग के व सा के रूप में भी संचित करते हैं

 4दूसरा प्रकार (Type 2 ) : सबसे साधारण प्रकार, सामान्यतया मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में 40 वर्ष की आयु के बाद पाया जाता है। पैन्क्रियाज़ ग्रंथि द्वारा उत्पादित इंसुलिन की मात्रा अपर्याप्त होती है। मोटापा इंसुलिन का प्रतिरोध करता है तथा बहुत अधिक खतरा होता है, मधुमेह के दूसरे प्रकार (ज्लचम 2) के विकसित हो जाने का खतरा

(A) इंसुलिन पर अनाधारित मधुमेह (Non Insulin Dependent





Diabetes)

1मधुमेह का यह प्रकार प्रारंभ में धीमा होता है तथा अधिकतर इससे संलग्न कोई लक्षण नहीं होता। सामान्यतया यह 40 वर्ष की आयु के पश्चात पाया जाता है। वजन कम करने व आहार पर नियंत्रण से अधिकतर रक्त शर्करा को सामान्य स्तर पर ले जाया जा सकता है। उचित व्यायाम तथा निर्दिष्ट औषधि इस विकृति को समाप्त कर देती है।


(B) इंसुलिन पर आधारित मधुमेह (Insulin Dependent Diabetes)


1अधिकतर यह बच्चों तथा युवाओं में पाया जाता है तथा यह इंसुलिन की कमी से होता है या रोगी का इंसुलिन शर्करा को ग्लुकोज़ में बदलने में सक्षम नहीं हो पाता। इंसुलिन की उचित मात्रा तथा उचित प्रकार के बिना ग्लूकोज़ कोशिका में प्रवेश नहीं कर सकता तथा रक्त में बना रहता है। अंततः यह मूत्र में बहने लगता है, जिसका निष्कासन बार-बार होता है। उचित उपचार के लिए मूत्र व रक्त परीक्षण आवश्यक होते हैं।


शुगर होम्योपैथिक  के उपचार की सचित्र मार्गदर्शिका


 1औषधि रोग की आरंभिक अवस्था में 18 या 2x में दें, तो यह उपचार कर देती है।होम्योपैथिक दवा जब भी शुरू करना चाहिए कम पावर से शुरू करना चाहिए

2 शुगर पेशेंट के लिए सर्वप्रथम दवा की शुरुआत ऐसे करनी चाहिए होम्योपैथिक

3सर्वप्रथम pancetam 3xजो शुगर को रीजेनरेट करने के लिए पर्याप्त हैऔर यकृत को एक्टिव कर Pinky aaj को इंसुलिन देने के लिए जो सुस्त पड़ा है तैयार करती हूं और व्यक्त शुगर की चपेट से बच जाता और फिर से रीजेनरेट कर पेनक्रियाज काम करना शुरू कर देता है

शुगर सर्वप्रथम पता चलने पर अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए



1सर्वप्रथम शुगर की जानकारी होने पर अंग्रेजी दवाओं का इस्तेमाल इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि पैंक्रियाज को एक्टिव कर खुद शरीर की छमता इंसुलिन देने का काम करना चाहिए इसके लिए होम्योपैथिक की panktiyon I'm 3 x ठीक है व शारीरिक श्रम  योगा कर पैंक्रियाज को रिएक्टिव करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि शुरुआत में अगरअंग्रेजी दवा का सेवन करना शुरू कर देंगे तो एक्टिव नहीं होगा वह सिर्फ शरीर की आवश्यकता की पूर्ति इंसुलिन दवाओं के थ्रू होती है

शुगर का प्रथम चरण और डॉक्टर का रहस्य 

1डॉक्टर शुगर पेशेंट की शुरुआती समय यह जानकारी देना चाहिए की अभी आपका शुगर शुरुआत है अभी आपका पैंक्रियाज रिएक्टिव हो जाएगा आप शारीरिक श्रम खान पान सुधार कर जो

2 पेनक्रियाज को एक्टिव कर सकते हैं इस तरह का सजेशन देना चाहिए थोड़े से स्वार्थ में इंसुलिन उपलब्ध कराने वाली जो अंग्रेजी दवा है उसको चला देते हैं जिससे व्यक्ति की अज्ञानता में दवाओं का डोज बढ़ता जाता है और जल्द ही दवाओं के सारे डोज लेने के बाद भी नहीं काम करता है और  

3लास्ट में डॉक्टर्स सिर्फ अपने स्वार्थ में  यही कहते हैं कि जल्द इंसुलिन लो नहीं तो किडनी फेल हो जाएगी मनुष्य अज्ञानता में उलझता जाता हैमनुष्य का जीवन नर्क हो जाता है  जीवन मेडिकल खाना बन जाता है जीने के लिए आदमी  कुछ भी करता हैक्या मजबूरी जीवन का अंकुरण करो

शुगर के पेशेंट का जीवन मेडिकल खाना बनता है 

 1शुगर के पेशेंट को जब पर्याप्त इंसुलिन नहीं मिल पाती है तो शरीर में बीमारियां जन्म लेने लगते हैं उधर शुगर की दवाई खा कर पूरे शरीर में टॉक्सिन इकट्ठा कर रहे हैं क्योंकि किसी भी  बीमारी में लगातार दवा खाने से जो भी गंदगी है वह पूरे शरीर में कहीं स्थान बनाएगी और किडनी जो पूरे शरीर को ब्लड साफ करते हैं उस पर भी लोड पड़ेगा 

2और ब्लड नहीं साफ कर पाएगी तो गंदगी नसों में जमेगी और उधर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं मिल रहा है जो किडनी के फंक्शन को कमजोर करता जा रहा है शरीर में बीमारियों का जन्म होना शुरू हो गया फिर आपका हार्ड जो पूरे शरीर को ब्लड देता है ब्लड सप्लाई नहीं कर पाता है क्यों उसको ही ब्लड नहीं मिल रहा शुद्ध तब हार्ट से संबंधित बीमारियां जन्म ले ली

3 उसमें भी दवाओं का डोज बढ़ता जा रहा है क्योंकि जब नसों की गंदगी आर्टिरीज में जम गई तो हार्ट ब्लॉकेज की शुरुआत हो गई उधर अंग्रेजी दवा से केवल बीपी को नार्मल कर रहे हैं अंदर ब्लॉकेज बढ़ रहा है तो बीपी की दवाई खाते खाते हैं रोज बढ़ते बढ़ते 1 दिन ब्लॉकेज अस्सी परसेंट को ऊपर चला जाता है तब दवाई नहीं काम करती है व्यक्त लास्ट जीवन के कगार पर खड़ा होता है वह हार्ड अटैक का भी सामना करता है अगर किसी तरह जीवन बच गया तो 

4 शुगर व्यक्ति के जीवन का बड़ा मेडिकल खाना  कैसेक्योंकि जब 80 परसेंट हार्ड ब्लॉक कर गया है तो पूरे शरीर में जितनी बीमारियां हैं सब जन्म ले लेते हैं लगभग बीमारियों की संख्या हजारों में हर बीमारी के अलग-अलग दवा डॉक्टर देंगे तो बड़ा मेडिकल खाना  

हो जाता है जीवन की सारी कमाई और जीवन की खुशहाली छीन जाते थोड़ी सी अज्ञानता में तो जीवन मिला है तो जीवन को समझो प्रकृति को समझो तभी दवाई खाना खत्म होगा और जीवन में नई उर्जा पाएंगेखुद डॉक्टर बनने की क्षमता शरीर में बनाओ

 5 आज के500 साल पहले कितनी एम बी बी एस डिग्री वाले डॉक्टर थे क्या उसके पहले का जीवन नहीं था तो मनुष्य अपने जीवन को किसी के ऊपर अगर डिपेंड होकर जीना चाहेगा तो हम यही मान ले कि 500 साल पहले चिकित्सा पद्धति खराब थी या उनकी ठीक थी मनुष्य अपने शरीर में पचासी परसेंट बीमारी स्वयं ठीक कर सकता है किसी विशेषज्ञ के पास जाने की आवश्यकता नहीं सिर्फ अपने शरीर का अंकुरण करना सीखो

 शुगर  के कारण उत्पन्न खुजली के लिए होम्योपैथिक दवाई  कारगर  शुगर के उपचार 

1आर्सेनिकम एल्बम30 ch वा 6 chशुगर 



के पेशेंट कोजब मुख सुख जाता है शरीर में प्रचंड खुजली होती है तो उक्त दवा का सेवन करना चाहिए यह दवा शुगर को ही नॉर्मल करती है शुगर के कारण शरीर में खुजली और हर तरह की बीमारी को तुरंत कंट्रोल करती है इसका एक चम्मच पानी में 10 बूंद दिन में तीन बार लेने से तत्काल जैसे बल्ब बंद करने के लिए बटन का प्रयोग करते हैं उसी तरीके से शुगर वह शरीर की खुजली हुआ शुगर से उत्पन्न कोई भी बीमारी को कंट्रोल करता है इसका अनुभूत प्रयोग डॉ सरोज सिंह द्वारा किया गया सौ बीमारियों में यह मजबूती के साथ अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे


2शुगर के कारण हार्ट से संबंधित नसों की गंदगी को साफ करती है होम्योपैथिक दवा crataegus  30ch 10 बूंद एक चम्मच पानी में कोलेस्ट्रोल 




1को कम करती है हार्ड की ब्लड देने वाली नसों को साफ करता है ब्लॉकेज को खत्म करता है सभी दवा एक साथ ले  सकते हैं दिन में तीन बार पानी में दस बूंद दें। यह मधुमेह के दोनों प्रकार कार्य करती है मधुमेह होने के कारण शरीर की नसों में गंदगी बढ़ जाती है   हार्ट ब्लॉक होने के कारण हार्ड को दर्द मिलता है पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। नित्य तीन बार पानी में दस बूंद दें।


2बच्चों में मधुमेह नित्य तीन बार, आयु के अनुसार एक से पंद्रह बूंद की एक खुराक इसके प्रयोग के लगभग 15 दिन के बाद परिणाम प्राप्त होता है। इसे रोगमुक्ति तक जारी रखना चाहिए।


: 3मूलार्क, पीले बीजों से बनाया जाता है तथा नित्य तीन बार 10-15 बूंद की तीन खुराक दी जाती है। यह मधुमेह को नियंत्रित करती है तथा मूत्र व रक्त में शर्करा को घटाती है। बहुमूत्रता को भी नियंत्रित करती है

3शुगर से उत्पन्न नपुंसकता व शुगर को खत्म के उपचार  होम्योपैथिक इन हिंदी



होम्योपैथिक जिंसेंग क्यू  10 बूंद एक चम्मच पानी में यह मधुमेह रहित व्यक्तियों में रक्त

 1शर्करा के स्तर को बनाए रखने तथा मधुमेहग्रस्त व्यक्ति में रक्त शर्करा के स्तर को नीचे लाने में सहायता करती है। रक्त संचार को सुधारती है तथा रक्तचाप को नीचे लाती है।तथा पुरुष को पुरुषार्थ के लिए भी जिन सेग को जाना जाता हैक्योंकि ब्लड शुगर बढ़ जाने के कारण पुरुष नपुंसकता का शिकार हो जाता है हार्ड को पर्याप्त ब्लड ना मिलने के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का भी शिकार हो जाता है पेनिस में ब्लड फ्लो ना होने के कारण टाइटनेस में भी कमी आ जाती है जिन सॉन्ग ब्लड को  पतला करती हैजिससे पुरुषार्थ सही हो 

शुगर बढ़ जाने के कारण मूत्र बार-बार होता है को नियंत्रित कर शुगर को नियंत्रित करती है होम्योपैथिक उपचार



1दवा जो मेथी केअर्क फेनुग्रीक  Q दिन में तीन बार पीना है एक चम्मच पानी में जब सुगर शरीर मे रक्त संकरा बढ़ जाने के कारण शुगर का पेशाब में बढ़ जाना होता है तब पेशाब बार-बार लगती है पेशेंट कहीं यात्रा पर है तो वह बार-बार पेशाब भी करता है जिंदगी एक नर्क के तरीके से जीता है होम्योपैथिक में मेथी के अर्क से बनी दवा पेशाब को बार-बार होने से रोक देती है व शुगर को पावर ब्रेक की तरह रोक देते यह मजबूती के साथ अपने आपको साबित की है 15 बूंद दिन में तीन बार एक चम्मच पानी लेना है




होम्योपैथिक दवाओं का डोज अपने नजदीकी डॉक्टर से फिक्स कराकर   ही ले

अगला जल्द अपडेट होगा आपको हमारे ब्लॉक हार्ट से संबंधित पर जाना अत्यंत आवश्यक


















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