फिशर गुदा का फोड़ा पाइल्स क्या होता है

 



फ़िशर (गुदा का फोड़ा) तथा साइलीशिया

: फिशर क्या है ? फिशर – यह गुदा के चारों ओर एक कट या दरार है जो बहुत दर्दनाक होता है। फिस्टुला क्या है ? फिस्टुला – गुदा के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती हैं, जिनमें संक्रमण हो जाती हैं जिससे और गुदा पे फोड़ा हो जाता है, जिससे मवाद निकलने लगता है।


इन विकारों के बारे में सामान्य बात यह है कि ये सभी गुदा विकृति हैं। गुदा अंतिम छिद्र है जिसमें से मल उत्सर्जित होता है। यह 4-5 सेमी लंबा होता है। गुदा के टर्मिनल हिस्से में संवेदनशील नर्व होते हैं, जो रक्त वाहिकाओं से घिरे होते हैं। मध्य भाग में कई गुदा ग्रंथियाँ होती हैं। अब जब हम गुदा के संरचना से अवगत हो चुके हैं, तो आइए इस से संबंधित विभिन्न विकारों पर ध्यान दें।


पाइल्स क्या हैं लक्ष्ण


पाइल्स – जिसे बवासीर भी कहा जाता है, गुदा के टर्मिनल हिस्से में सूजन वाली नसें हैं।


50 वर्ष की आयु तक 75% जनसंख्या को प्रभावित करता है

गर्भावस्था में सामान्य रूप से देखा जाता है

आंतरिक या बाहरी हो सकता है

इसके लक्षण – मल त्याग के बाद खून आना या या मल के साथ खून आना

कभी-कभी रक्त गुदा के आस-पास क्लॉट कर जाता है जिससे बाहरी बवासीर होता है

ज्यादातर यह लक्षण प्रकट होने से पहले ही अपने आप ठीक हो जाता है

पुरानी कब्ज, कठिन मल त्याग के कारण

फिशर क्या है ?


फिशर – यह गुदा के चारों ओर एक कट या दरार है जो बहुत दर्दनाक होता है।


कई बार जब आप शौच करने के लिए बहुत अधिक दबाव डालता हैं

संक्रमित होने पर रक्त या मवाद आ सकता है

कब्ज, दस्त, या भारी व्यायाम करने के कारण हो सकता है

ज्यादातर 50 से ऊपर आयु समूहों को प्रभावित करता है

तीव्र और क्रॉनिक दो रूपों में बाट सकते हैं

फाइबर युक्त आहार और दवा से तीव्र फिशर को आसानी से ठीक किया जा सकता है

क्रॉनिक को प्रबंधित करना मुश्किल है और पुनः हो सकता है

फिस्टुला क्या है ?


फिस्टुला – गुदा के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती हैं, जिनमें संक्रमण हो जाती हैं जिससे और गुदा पे फोड़ा हो जाता है, जिससे मवाद निकलने लगता है। फिस्टुला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोड़ने वाला मार्ग है।


यह रेडिएशन, कैंसर, वार्ट्स, ट्रामा, क्रोहन रोग आदि के कारण हो सकता है

यह मोटापे और लंबे समय तक बैठने से भी जुड़ा हो सकता है

मुहाने से मवाद आना, सूजन, दर्दनाक और लाल के रूप पहचाना जा सकता है

एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है

ये सभी एक दूसरे से कैसे अलग हैं?


पाइल्स मुख्य रूप से सूजी हुई रक्त वाहिकाएं हैं, जबकि फिशर एक प्रकार की कट या दरारें होती हैं और फिस्टुला एक गुहा का उद्घाटन होता है।

पाइल्स ज्यादातर दर्द रहित होता है और ध्यान से ओझल रहता हैं। फिशर में बहुत रहता है। फिस्टुला में गुदा क्षेत्र से मवाद का स्राव होता है।

कब्ज के अलावा जो आमतौर पर तीनों से जुड़ा होता है, पाइल्स गर्भावस्था और लगातार खांसी के साथ जुड़ा हुआ है। फिशर दस्त और मल त्याग के दौरान अत्यधिक दबाव डालने के साथ जुड़ा हुआ है। फिस्टुला आमतौर पर क्रोहन रोग, मोटापे और लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने से होता है।

आहार में उच्च फाइबर और तरल पदार्थ के अधिक सेवन से तीनों को रोका जा सकता है। इसके अलावा फिस्टुला को शौच के बेहतर और स्वच्छ आदतों का अभ्यास करके रोका जा सकता है।

पाइल्स का इलाज काउंटर दवा और घरेलू उपचार द्वारा आसानी से किया जा सकता है। लेकिन फिशर दवा और सर्जिकल प्रक्रिया जैसे कि लेटरल स्फिनक्टेक्टोमी की आवश्यकता हो सकती है। फिस्टुला का पता लगाना और उपचार अधिक कठिन है और इसको पता लगाने के लिए एमआरआई या सोनोफिस्टुलग्राम की आवश्यकता हो सकती है। इस का उपचार वीडियो असिस्टेड फिस्टुला ट्रीटमेंट प्रक्रिया के माध्यम होता है।

रेक्टल रक्तस्राव अपने आप में एक ध्यान देने योग्य लक्षण है औरइस संबंध में चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। उपरोक्त सभी स्थितियों में व्यक्तिगत और चिकित्सा देखभाल से लाभकारी परिणाम मिलता है। स्थिति को अनदेखा करने से जटिलताएं बढ़ सकती हैं। बहुत से लोग इसके वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं। यह किसी अन्य रोग की तरह हीं एक और रोग है और किसी भी तरह के चिकित्सीय सलाह लेने से ना झिझकें।


होम्योपैथिक जनक डॉ सत्यव्रत का पाइल्स गुदाद्वार के फोड़े पर चिकित्सा अनुभव व होम्योपैथिक .दवा इन हिंदी




1डॉ० नीश बार्कर ने 1927 में होम्योपैथिक कान्फ़रेन्स में गुदा के फोड़े (फ़िशर) के सम्बन्ध में कहा एक मरीज़ जिसे 20 साल से गुदा का फोड़ा था, मेरे पास आया। ऐसा लाइलाज फोड़ा था कि मैं अपनी छोटी अंगुली उसमें डाल सकता था। फोड़े की चारों तरफ़ की दीवार सख़्त थी, कड़े तन्तुओं से घिरा था, परन्तु फोड़ा कोमल था। उसमें से जब मल निकलता था तब रोगी परेशान हो जाता था। ग़नीमत यही थी कि ऐसा सप्ताह में सिर्फ एक बार ही होता था। उसका दो बार ऑपरे शन हो चुका था। उसके बाद उसने ऑपरेशन कराने से इन्कार कर दिया। मैंने उसे नाइट्रिक ऐसिड दिया। एक सप्ताह बाद तक उसका कोई असर नहीं हुआ। उसके बाद उसके लक्षण फिर लिये गये। वह अत्यन्त शीत-प्रकृति का था, बहुत गुस्सैल, छोटी-छोटी बात पर उबल पड़ता था, कब्ज़ रहती थी। इन लक्षणों पर उसे

 2नक्स-वोमिका दिया गया, पर इससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद उसकी फिर जाँच की गई और डॉक्टर इस परिणाम पर पहुँचे कि उसके स्वभाव में हिंसात्मकता थी, परन्तु वह डरपोक भी था, सोचता था कि नौकरी चली जायगी तो क्या करूँगा । उसे जो चोटें लगी हुई थीं, वे उसे स्वस्थ नहीं होने दे रही थीं। उसे न्यूरेसथेनिया हो चुका था । उसके पैर का पसीना आषधियों से दबा दिया गया था। इस मुख्य लक्षण तथा अन्य लक्षणों के आधार पर उसे साइलीशिया 10M दिया गया । इसका परिणाम आश्चर्यजनक हुआ। पहला दिन तो उसका अत्यन्त



3कोरिया हो गया। क्या वह इस चक्कर में पड़कर ठीक हो गयी ? नहीं, ल्यूकोरिया के बाद उसे ट्यूमर हो गया। उसका फ़िश्चुला गुदा के पास था, अब वहाँ ट्यूमर हो गया और मल त्याग के लिए उसे जो कष्ट उठाना पड़ा उसे वह ही जानती है। डॉ० वनेंट पूछते हैं इस सबका क्या मतलब है ? उनका उत्तर है कि असल में इस स्त्री को कोई भीतरी रोग था, और प्रकृति उस रोग को निकाल देने के लिए रास्ता बना रही थी। वह रास्ता ही फ़िश्चुला था। जब उसे सर्जरी द्वारा बन्द कर दिया गया तो शरीर ने दूसरे रास्ते निकाल लिये। डॉ० बर्नेट का कहना है कि फ़िश्चुला के इलाज के लिए होम्योपैथी के पास अनेक ओषधियाँ हैं जिनमें से दो का वर्णन वे करते हैं:


 फ़िश्चुला तथा नाइट्रिक ऐसिड


डॉ० जोजफ़ किड जो लार्ड बर्केन्हैड के चिकित्सक थे 'दि लॉज ऑफ़ थेराप्यूटिक्स' में लिखते हैं: एक स्त्री जिसे गुदा का एक साल से फ़िश्चुला था, लंडन के उच्च कोटि के डॉक्टरों से मिली। उनकी राय थी कि फ़िश्चुला का ऑपरेशन के सिवाय कोई इलाज नहीं। वह मेरे पास आथी। उसके फ़िश्चुला में सोरनैस थी, और आँतों के नीचे के हिस्से में दर्द तथा जलन थी। फ़िश्चुला से नीला स्राव लगातार रिसता रहता था। उसे नाइट्रिक ऐसिड की 8 बूंदें पानी के एक गिलास में दिन में 3 बार दी गई और ज़ख्म पर कोई दवा नहीं लगाई गई। इस दवा को देते-देते दो महीनों में उसका रोग जाता रहा। डॉ० किड इस स्त्री का फिञ्चुला इसलिए ठीक कर सके क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति पर नाइट्रिक ऐसिड द्वारा प्रूविंग किये जाने पर उक्त लक्षण प्रकट होते हैं।


फ़िरचुला तथा साइलीशिया


फ़िश्चुला का इलाज मनुष्यों में ही नहीं, पशुओं में भी किया गया है। पशु-चिकित्सक डॉ० हेकॉक 'होम्योपैथिक टाइम्स' के चौथे खंड में लिखते हैं: एक घोड़ी को फ़िश्चुला था। उसे साइलीशिया 12 की 5 गोलियाँ दो औंस पानी में घोलकर खाना खाने से पहले दी जाती रहीं। यह 22 सितम्बर की बात है। इसके 6 दिन बाद घोड़ी के कप्तान ने लिखा कि घोड़ी को मवाद आना बन्द हो गया है।

पाइल्स  बवासीर क्यों  होता है डॉक्टर सरोज सिंह का चिकित्सीय अनुभव

  मनुष्य खाने में फाइबर की मात्रा की कमी कर देता है जंक फूड का प्रयोग ज्यादा करता है जिससे मेटाबॉलिज्म सिस्टम फेल हो जाता है  और पेट में गैस बनने की समस्या शुरू हो जाती है यही से बवासीर का जन्म होता है   

 खूनी बवासीर की होम्योपैथिक दवा इन हिंदी




 दवा सल्फर बवासीर के लिए पर्याप्त है इसमें खाने में परहेज कर मिर्ची को कम कर सलाद का सेवन खाने के पहले करने से होम्योपैथिक दवा सल्फर बहुत ही अच्छा कारगर साबित हुई होम्योपैथिक का डोज अपने नजदीकी होम्योपैथिक डॉक्टर  से फिक्स करा कर दवा पीना चाहिए

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