गैंग्रीन घाव क्यों होता है को ठीक करने की दवा

 



गैंग्रीन क्यों होता है

एक खास तरह की बीमारी है, जिसमें शरीर के कुछ खास हिस्सों में टिश्यूज यानी ऊतक नष्ट होने लगते हैं। इस कारण वहां घाव बन जाता है, जो लगातार फैलता जाता है। यदि वक्त रहते इस समस्या का इलाज ना किया जाए स्थिति बहुत अधिक भयावह हो सकती है।

 गैंग्रीन या गैंगरीन एक भयानक और जानलेवा रोग है। जो मुख्य रूप से इस कारण पनपता है, जब हमारे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक तरह से नहीं हो पाता है। या हमारे शरीर में किसी खास स्थान के टिश्यू खून के कम प्रवाह और दबाव की वजह से सड़ने-गलने या सूखने लगते हैं...

Gangrene एक खास तरह की बीमारी है, जिसमें शरीर के कुछ खास हिस्सों में टिश्यूज यानी ऊतक नष्ट होने लगते हैं। इस कारण वहां घाव बन जाता है, जो लगातार फैलता जाता है। यदि वक्त रहते इस समस्या का इलाज ना किया जाए स्थिति बहुत अधिक भयावह हो सकती है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि डायबीटीज के अधिकतर रोगियों को अपनी डायट का पूरा ध्यान रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ज्यादातर केसेज में गैंगरीन की मुख्य वजह शुगर की बीमारी के रूप में ही सामने आती है



वृद्ध पुरुषों का गैंग्रीन तथा  किस चमत्कारिक उपचार 

सोकेल कौर

 


होम्योपैथिक जनक सत्यव्रत का चिकित्सालय अनुभव 




1वृद्ध पुरुषों को वृद्धावस्था में पैर में भारीपन आ जाता है क्योंकि कमजोरी के कारण रुधिर-संचार शिथिल पड़ जाता है। पैरों पर चलते रहने, खड़ा रहने आदि से रुधिर नीचे तो आ जाता है, ऊपर ठीक से नहीं जाता, इसलिए पैर भारी हो जाते हैं, फूल भी जाते हैं; कभी-कभी पैर की अंगुलियाँ खून भर जाने या खून के ऊपर न जाने के कारण मर सी जाती हैं, उनमें चेतना नहीं रहती-इसी को 'सिनाइल गैंग्रीन' कहते हैं। पैर तथा हाथ की अंगुलियों के पोरों से शुरू होकर यह गैंग्रीन

2ऊपर को चढ़ता है, और सर्जन इन मृत अंगों को गैंग्रीन कहकर काट देते हैं। होम्योपैथिक पुस्तकों में होम्योपैथिक दवा द्वारा गैंग्रीन के ठीक हो जाने के अनेक दृष्टांत उपलब्ध हैं। डॉ० चैरेट्टी लिखते हैं : एक रोगी को सिनाइल गैंग्रीन से आक्रान्त देखकर मैंने ऐलोपैथी की टेक्स्ट-बुक में देखा कि यह रोग एन्टीपाइरीन तथा आइडोथीन को एक-साथ देने से ठीक हो जाता है। मैंने रोगी को यह नुस्खा लिखकर दे दिया ताकि कैमिस्ट से बनवाकर इसका सेवन करे। मैं तीन दिन बाद रोगी को देखने गया और उसकी हालत पूछी। उसने कहा- आपकी दवा से मेरे सब दर्द चले गये, मैं आराम से सो सकता हूँ। क्योंकि इस ओषधि मैं का पेट पर भी असर होता है, और बदहज़मी हो जाती है, इसलिए मैंने पूछा कि दवा के कैपश्यूल से पेट में तो कुछ गड़बड़ नहीं हुई ? उसने पूछा- कौन-से कंपश्यूल ? आपकी दवा तो पानी में थी, कंपश्यूल में नहीं थी। दवा शीशी में थी और उस पर लिखा था-प्रतिदिन 4 चम्मच लो। सो, ऐसा ही मैंने किया और मैं ठीक हो गया। यह सुनकर कि दवा कंपश्यूल में नहीं थी, पानी की बोतल में थी, मैं दौड़ा-दौड़ा कैमिस्ट के पास गया और पूछा कि आपने क्या दवा कैपश्यूल में भेजी थी? वह घबराया हुआ बोला-ग़लती से मैंने दूसरे व्यक्ति की दवा जो कंपश्यूलों में थी आपके मरीज़ को भेज दी थी। असल में, इस दूसरे व्यक्ति की दवा सिकेल कौर थी जो किसी डॉक्टर ने अपने मरीज़ के लिए लिखी थी और उसी दवा का सेवन गैंग्रीन के इस मरीज़ ने किया था। इस ग़लती से मुझे पता चला कि सिनाइल गैंग्रीन में होम्योपैथी की सिकेल कौर दवा लाभप्रद है। डॉ० चेरेट्टी लिखते हैं कि मरीज़ मेरे नुस्खे से ठीक नहीं हुआ था; कैमिस्ट की ग़लती से दिये गये सिकेल कौर से ठीक हुआ था क्योंकि इस रोग की यह सही होम्योपैथिक ओषधि थी।

डॉ सरोज सिंह लखनऊ वाले की चिकित्सा गैंग्रीन के उपचार

गैंग्रीन जिस स्थान पर हुआ है वहां पर  गोमूत्र देसी गाय जो बच्चा ना की हो उसी की गोमूत्र से  साफ करके साफ करके होम्योपैथिक दवा पीते रहे डॉ से डोज फिक्स कराकर 1 महीने में पूरी तरह  गैंग्रीन सही  हो जाएगा

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